दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेने का सपना देखने वाला चीन अब म्यांमार में कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। म्यांमार में विद्रोहियों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नींद उड़ा दी है।
कई देशों को कर्ज के जाल में फंसाने वाला चीन अब अपने ही पड़ोसी के फंदे में फंस गया है। दरअसल, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के तहत चीन दुनिया भर के कई देशों से सड़क, रेल और समुद्री मार्ग बना रहा है। जिस तरह चीन पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बना रहा है, उसी तरह म्यांमार में भी चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है, लेकिन अब इस परियोजना का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। चीन ने म्यांमार से इस परियोजना की सुरक्षा की मांग की है।
चीन की गुहार
म्यांमार के काचिन राज्य के भामो में भीषण लड़ाई के बीच चीन म्यांमार में संबंधित पक्षों से बातचीत और परामर्श जारी रखने के लिए जल्द से जल्द युद्धविराम लागू करने की कोशिश कर रहा है। इसके पीछे सिर्फ एक वजह है, वो है चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे में चीनी परियोजनाओं, कारोबार और कर्मियों की सुरक्षा। चीन नहीं चाहता कि म्यांमार के गृहयुद्ध के बीच उसके हितों को कुचला जाए और चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारा परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए।
म्यांमार पर कड़ी नज़र’
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “चीन सीमा पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए म्यांमार में संबंधित पक्षों के बीच जल्द युद्ध विराम के लिए बातचीत और वार्ता को बढ़ावा दे रहा है।” माओ निंग ने 10 दिसंबर को बीजिंग में आयोजित एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग में काचिन इंडिपेंडेंस ऑर्गनाइजेशन (केआईओ) प्रतिनिधिमंडल और चीनी अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बारे में समाचार एजेंसी एएफपी के एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उन्होंने इन वार्ताओं के स्थान या विषय के बारे में कोई विवरण नहीं दिया। उन्होंने कहा, “चीन उत्तरी म्यांमार में स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहा है। हम शांति के लिए बातचीत को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना जारी रखेंगे और अपनी पूरी क्षमता के साथ म्यांमार की शांति प्रक्रिया को समर्थन और सहायता प्रदान करेंगे।”
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना क्या है?
चीन ने ऐतिहासिक सिल्क रूट की तर्ज पर व्यापार मार्गों का एक नया नेटवर्क बनाने के लिए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना की स्थापना की है। सिल्क रूट कोई तय रूट नहीं था बल्कि एशिया और यूरोप को जोड़ने वाले रूटों का पूरा नेटवर्क था। 130 ईसा पूर्व से लेकर 1453 तक यानी करीब 1,500 सालों तक व्यापारी पूर्वी एशिया और यूरोप के देशों के लिए इन रूटों का इस्तेमाल करते थे। यह रूट करीब 6,437 किलोमीटर लंबा था। यह रूट दुनिया के कई दुर्गम रास्तों जैसे गोबी रेगिस्तान और पामीर पर्वतों से होकर गुजरता था।
युद्ध की भेंट चढ़ सकता है प्रोजेक्ट
सड़क, रेल और समुद्री मार्गों के जरिए इस नेटवर्क को बनाने के लिए 2013 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की शुरुआत की गई थी। अब तक करीब 130 देश इस प्रोजेक्ट से जुड़ चुके हैं। हालांकि, पिछले साल इटली ने नाटकीय तरीके से इससे हाथ खींच लिया। अब चूंकि म्यांमार इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है, इसलिए चीन को इस बात का खतरा है कि गृहयुद्ध से जूझ रहे इस देश में उसके प्रोजेक्ट युद्ध की भेंट न चढ़ जाएं।