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देश में एक साथ चुनाव कराने वाला ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विधेयक लोकसभा में पेश

कांग्रेस, टीएमसी, सपा ने बिल का विरोध किया

लोकसभा में मंगलवार को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विधेयक पेश हो गया। विपक्ष के भारी शोरगुल के बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक को सदन के पलट पर रखा।संविधान के 129वें संशोधन का बिल और यूनियन टेरिटरी लॉ अमेंडमेंट बिल 2024 पेश किया गया। इस विधेयक का मकसद देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है। सरकार की दलील है कि दोनों चुनाव एक साथ होने से सरकारों का समय और धनराशि की बचत होगी। जबकि विपक्ष का दावा है कि यह संविधान के मूलभावना और संघवाद के खिलाफ है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

हम बिल का समर्थन करते हैं-जदयू

विधेयक पेश होने से पहले जनता दल-यूनाइटेड के सांसद संजय कुमार झा ने कहा कि हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं। लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव एक साथ होना चाहिए। पंचायत और निकाय चुनाव को अलग से कराया जाना चाहिए। देश में जब चुनाव होने शुरू हुए तो ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ ही था। यह नया नहीं है। दिक्कतें तब आने लगीं जब कांगेस ने 1967 में राष्ट्रपति शासन थोपना शुरू किया। इसलिए हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं।

कांग्रेस, टीएमसी, सपा ने बिल का विरोध किया

इस विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘इस प्रकार का कदम राज्य की स्वायत्तता को कमजोर करता है। स्थानीय लोकतांत्रिक भागीदारी को घटाता है, और सत्ता के केंद्रीकरण का खतरा बढ़ाता है। यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है। वहीं, सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी बिल का विरोध करते हुए कहा कि अभी दो दिन पहले संविधान की रक्षा का दम भर रही सरकार ने तुरंत अपनी मंशा इस बिल को पेश करके कर दिया है। इस बिल के जरिए सरकार तानाशाही का राह तलाशना चाहती है। वहीं, टीएमसी ने बिल का विरोध करते हुए इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया। वहीं IUML और उद्धव शिवसेना ने भी बिल का विरोध किया।

क्या इससे किसानों के मुद्दों का हल निकलेगा-हरसिमरत

वहीं, एक साथ चुनाव कराने वाले इस संशोधन विधेयक पर अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि यह सब ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। पहले लोगों से जुड़े मुद्दों पर बहस होनी चाहिए। न तो कांग्रेस और न ही कांग्रेस की इच्छा है कि संसद चले। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से क्या हमें भोजन और रोजगार मिलेगा? इससे किसानों के कौन से मुद्दे हल होंगे? यह लोगों का कैसे भला करेगा?

देश में चार बार एक साथ हुए हैं लोकसभा-विधानसभा चुनाव

कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि वह इस विधेयक का विरोध करेंगे। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह देश के संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। बता दें कि देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव 1951 से लेकर 1967 तक चार बार हो चुके हैं। लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव 1951, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ हुए।

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