
18 साल के डी गुकेश अब किसी परिचय के मोहताज नहीं रहे. उन्होंने इतनी कम उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है.
हालांकि, गुकेश के लिए शतरंज का बादशाह बनने का सफर काफी कठिनाई भरा रहा है. उनकी इस जर्नी में माता-पिता का भी अहम रोल रहा, जिन्होंने अपने बेटे के लिए कई त्याग किए. गुकेश न सिर्फ अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं, बल्कि उन्होंने अपने बचपन के सपने को भी पूरा कर लिया है.
ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने गुरुवार को खिताबी मैच की 14वीं बाजी में पिछले चैंपियन डिंग लिरेन को शिकस्त दी. अब वह सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बन गए हैं. विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाले गुकेश दूसरे भारतीय हैं. चैंपियन बनने पर गुकेश को बंपर प्राइज मनी मिली. गुकेश को वर्ल्ड चैंपयिन बनने पर 13 लाख डॉलर यानी करीब 11.03 करोड़ रुपये मिले हैं.
मुझे जीत की उम्मीद नहीं थी- डी गुकेश
डी गुकेश ने चैंपियन बनने के बाद कहा, “मैं पिछले 10 सालों से इसका सपना देख रहा था. मुझे खुशी है कि मैंने अपने सपने को हकीकत में बदला. मैं थोड़ा इमोशनल हो गया था, क्योंकि मुझे जीत की उम्मीद नहीं थी.”
ऐसा रहा डी गुकेश का सफर
डी गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था. उनके पिता का नाम रजनीकांत है जो पेशे से नाक, कान और गले के स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. उनकी मां पद्मा भी पेशे से डॉक्टर हैं और उनकी विशेषता का क्षेत्र माइक्रोबायोलॉजी है. गुकेश एक तेलुगू भाषी परिवार से संबंध रखते हैं और महज 7 साल की उम्र में चेस खेलना शुरू कर दिया था. डी गुकेश को शतरंज का बादशाह बनाने के लिए पिता रजनीकांत ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी. फिर उनकी मां ने घर की जिम्मेदारियां संभाली.
डी गुकेश ने महज़ 9 साल की उम्र में ही अपनी पहली चैंपियनशिप जीत ली थी. उन्होंने महज 9 साल की उम्र में अंडर-9 एशियन स्कूल चेस चैंपियनशिप पर कब्जा जमाया था. उसके 3 साल बाद उन्होंने अंडर-12 लेवल पर वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप जीती थी. 12 साल की उम्र में ही उन्होंने 2018 एशियन यूथ चेस चैंपियनशिप में एक नहीं, दो नहीं बल्कि 5 गोल्ड मेडल जीते थे. मार्च 2017 में इंटरनेशनल मास्टर टूर्नामेंट को जीतकर इतिहास में तीसरे सबसे युवा चेस ग्रैंड मास्टर बने.