टॉप न्यूज़दिल्ली NCRदुनियादेशधर्मराजनीति

PM मोदी को ‘नीच’ कहने वाले गाँधी परिवार के ‘दरबारी’ ने किताब में भी छापी ‘चापलूसी’ की गाथा: सोनिया-राहुल को बचाया, कॉन्ग्रेस की दुर्गति के लिए मनमोहन सिंह को बना दिया ‘कुर्बानी का बकरा’

मनमोहन सिंह को बना दिया 'कुर्बानी का बकरा'

कॉन्ग्रेस के विवादित नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी नई किताब में यूपीए गठबंधन और अपने राजनीतिक जीवन को लेकर कई बातें की हैं।

कॉन्ग्रेस के विवादित नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी नई किताब में यूपीए गठबंधन और अपने राजनीतिक जीवन को लेकर कई बातें की हैं।

उन्होंने कहा कि यूपीए-2 में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री और मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया गया होता तो आज स्थिति अलग होती। उन्होंने कहा है कि पिछले 10 सालों से उनकी सोनिया गाँधी से मुलाकात नहीं हुई, जबकि प्रियंका गाँधी से सिर्फ एक बार फोन पर बात हुई।

अपनी हालिया किताब ‘ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ को लेकर अय्यर ने कहा, “मेरे राजनीतिक करियर की शुरुआत गाँधी परिवार से हुई और खत्म भी उन्हीं के द्वारा हुआ।” अपनी किताब को लेकर PTI से बातचीत में अय्यर ने कहा कि पिछले 10 सालों में उन्हें सोनिया गाँधी से निजी तौर पर मिलने का एक बार भी मौका नहीं मिला, जबकि राहुल गाँधी से सिर्फ एक बार ही मिल सके।

अय्यर ने अपनी किताब में अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों की चर्चा की है। उन्होंने नरसिम्हा राव के शासनकाल, यूपीए I में मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल और फिर कॉन्ग्रेस के पतन का जिक्र किया है। इस किताब में उन्होंने यूपीए-2 के पतन की विशेष चर्चा की है। की जब उनकी पत्नी ने टेलीविजन के सामने यह कह कर अपनी निराशा जताई थी कि “आज कोई घोटाला नहीं हुआ.”

अय्यर ने लिखा है कि साल 2012 में राष्ट्रपति का पद खाली हुआ था। उस समय प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री और मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए था। अगर ऐसा होता तो यूपीए सरकार में गवर्नेंस पैरालिसिस की स्थिति नहीं होती। उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति और मनमोहन सिंह को सरकार की जिम्मेदारी देने के बाद नई सरकार गठित करने की संभावनाओं का अंत कर दिया।

अय्यर ने लिखा है कि साल 2012 में मनमोहन सिंह को कई बार ‘कोरोनरी बाईपास सर्जरी’ करानी पड़ी। उसके बाद वह कभी स्वस्थ नहीं हो पाए। इससे उनके काम करने की गति धीमी हो गई और शासन पर इसका असर भी पड़ा। उन्होंने कहा, “जब प्रधानमंत्री का स्वास्थ्य खराब हुआ था, उसी समय कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी भी बीमार पड़ी थीं। हालाँकि, पार्टी ने इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की।”

मणिशंकर अय्यर ने लिखा कि दोनों के बीमार होने के कारण प्रधानमंत्री कार्यालय और पार्टी अध्यक्ष कार्यालय में निर्णय की गति की कमी आ गई थी। शासन का अभाव हो गया था। उन्होंने कहा कि उसी दौरान संकट आए, जिनमें कॉमनवेल्थ घोटाला और अन्ना हजारे का ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ प्रमुख थे। अन्ना आंदोलन का प्रभावी ढंग से सामना नहीं किया गया।

उन्होंने बताया कि 2013 में कॉन्ग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए, जो कभी कानूनी रूप से साबित नहीं हुए। हालाँकि, सरकार और पार्टी मीडिया के सवालों का सही ढंग से जवाब देने में नाकाम रहे। इसके कारण विपक्ष के आरोपों ने उनके भरोसे पर चोट की और सरकार एवं पार्टी की छवि खराब हुई। इसके बाद 1984 में 404 सीटें जीतने वाली कॉन्ग्रेस 2014 में 44 सीटों पर आ गई।

उन्होंने गाँधी परिवार पर अपने राजनीतिक करियर को खत्म करने का आरोप लगाया। इसकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं मानता हूँ कि ऐसा ही होता है… मुझे पार्टी से बाहर रहने की आदत हो गई है। मैं अब भी पार्टी का सदस्य हूँ। मैं कभी भी इसमें बदलाव नहीं करूँगा और मैं निश्चित रूप से बीजेपी में नहीं जाऊँगा।” बता दें कि मणिशंकर ने पीएम मोदी को नीच कहा था और कई मौकों पर पाकिस्तान और मुगलों का गुणगान कर चुके हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!