देश में पिछले कुछ सालों से युवाओं की अचानक हो रही मौतों को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बड़ा खुलासा किया है। एक अध्ययन के बाद ICMR ने बताया है कि पिछले कुछ सालों में भारत में युवाओं की असामयिक मौत का कारण कोविड टीकाकरण नहीं, बल्कि कुछ और है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार (10 दिसंबर) को राज्यसभा में ICMR की यह अध्ययन रिपोर्ट पेश की। एक सवाल के जवाब में जेपी नड्डा ने कहा कि ICMR के एक अध्ययन ने निर्णायक रूप से दिखाया है कि कोविड-19 टीकाकरण के कारण भारत में युवा वयस्कों में अचानक मृत्यु का जोखिम नहीं बढ़ा है।
18-45 वर्ष की आयु के लोगों पर किया गया अध्ययन
बता दें कि, यह अध्ययन दर्शाता है कि टीकाकरण वास्तव में ऐसी मौतों की संभावना को कम करता है। दरअसल, पिछले कुछ समय से चर्चा थी कि कोविड टीकाकरण के कारण युवाओं की असामयिक मौतें हो रही हैं, लेकिन इस रिपोर्ट ने इन आशंकाओं को काफी हद तक दूर कर दिया है। ICMR द्वारा किया गया यह अध्ययन 18-45 वर्ष की आयु के ऐसे व्यक्तियों पर केंद्रित था जो स्पष्ट रूप से स्वस्थ थे और उन्हें कोई ज्ञात बीमारी नहीं थी और जिनकी 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2023 के बीच अचानक मृत्यु हो गई। यह शोध 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में किया गया। अध्ययन के विश्लेषण में कुल 729 मामले ऐसे पाए गए जिनमें अचानक मृत्यु हुई थी, जबकि 2916 नमूने ऐसे थे जिन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद बचा लिया गया था।
अचानक मृत्यु का कारण बताया
दरअसल, निष्कर्षों से पता चला कि कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक, खासकर दो खुराक लेने से बिना किसी कारण के अचानक मृत्यु की संभावना काफी कम हो जाती है। अध्ययन में कई ऐसे कारकों की भी पहचान की गई है जो अचानक मृत्यु के जोखिम को बढ़ाते हैं। इसमें कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने का इतिहास, परिवार में अचानक मृत्यु का इतिहास, मृत्यु से 48 घंटे पहले शराब पीना, मनोरंजन के लिए नशीली दवाओं का सेवन और मृत्यु से 48 घंटे पहले अत्यधिक शारीरिक गतिविधि (जिम में व्यायाम) शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीकाकरण के दुष्प्रभावों पर नज़र रखने के लिए ‘टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना’ (AEFI) नामक एक मजबूत निगरानी प्रणाली बनाई गई है।