MP News: दावा: पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने की थी सौरभ शर्मा की नियुक्ति की अनुशंसा, लोकायुक्त पहुंची शिकायत

ग्वालियर में आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति को लेकर सवाल उठने लगे हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू ने एक पत्र जारी करते हुए दावा किया है कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति की अनुशंसा तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने की थी।
साहू का आरोप है कि 2016 में नरोत्तम मिश्रा के द्वारा सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति के लिए पत्र लिखा गया था।
आरटीआई एक्टिविस्ट का दावा और पत्र
संकेत साहू ने जो पत्र जारी किया है, वह 12 अप्रैल 2016 को तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा के लेटर हेड पर लिखा गया है। इस पत्र में बताया गया है कि सौरभ शर्मा के पिता, स्व. राकेश कुमार शर्मा, जो कि डीआरपी लाइन चिकित्सालय में पदस्थ थे, 20 नवंबर 2015 को निधन हो गए थे। उनके निधन के बाद, साहू के मुताबिक, नरोत्तम मिश्रा ने यह पत्र लिखा था, जिसमें सौरभ शर्मा के लिए जिले में किसी भी तृतीय श्रेणी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दिलाने का अनुरोध किया गया था।
लोकायुक्त में शिकायत और तीन एजेंसियों की छापेमारी
साहू ने इस मामले को लेकर 27 दिसंबर को लोकायुक्त से शिकायत भी की थी। उनका आरोप है कि इस नियुक्ति में कुछ गलत तरीके से फायदा उठाया गया। इसके अलावा, सौरभ शर्मा के खिलाफ विभिन्न एजेंसियों, जैसे कि ईडी (केंद्रीय जांच एजेंसी), लोकायुक्त और आयकर विभाग ने 9 दिनों तक छापेमारी की थी। इस कार्रवाई के दौरान सौरभ शर्मा के पास 93 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति मिली थी, जो उनके खिलाफ गंभीर आरोपों का संकेत है।
सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति का मामला
सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति के मामले ने अब एक नया मोड़ लिया है, जब उनके खिलाफ जांच और छापेमारी के दौरान बड़े पैमाने पर संपत्ति का खुलासा हुआ। इस मामले में आगे की जांच और लोकायुक्त द्वारा उठाए जाने वाले कदम पर अब सभी की नजरें लगी हैं।
सौरभ शर्मा की नौकरी की जांच में नया मोड़, फर्जी शपथ पत्र और ईडी की छापेमारी
ग्वालियर में आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की नियुक्ति को लेकर नई जानकारी सामने आई है। आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू ने लोकायुक्त एसपी राजेश मिश्रा से शिकायत की है कि सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति पूरी तरह से गैरकानूनी है। साहू का दावा है कि सौरभ के पिता राकेश कुमार शर्मा का आकस्मिक निधन 20 नवंबर 2015 को हुआ था, जिसके बाद सौरभ की मां उमा शर्मा ने शासन को एक शपथ पत्र पेश किया था। इस शपथ पत्र में उमा शर्मा ने अपने बड़े बेटे सचिन शर्मा की शासकीय सेवा में होने की जानकारी छिपाकर छोटे बेटे सौरभ शर्मा के लिए तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति की मांग की थी।
फर्जी शपथ पत्र और अपात्रता
साहू के अनुसार, शपथ पत्र में यह तथ्य छुपाए गए थे कि सौरभ का भाई सचिन शर्मा 5 साल से छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी कर रहा था, और इस कारण सौरभ के लिए अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं बनता था। इसके बावजूद कुछ लोगों की मिलीभगत से साल 2016 में सौरभ शर्मा को परिवहन विभाग में नियुक्ति मिल गई। यह नियुक्ति पूरी तरह से नियमों के खिलाफ थी, क्योंकि सौरभ इस पद के लिए अपात्र था।
ईडी की छापेमारी और बड़े खुलासे
सौरभ शर्मा के खिलाफ जांच में एक और बड़ा मोड़ तब आया, जब 27 दिसंबर 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने सौरभ शर्मा के विनय नगर स्थित आवास पर छापेमारी की। यह छापेमारी शुक्रवार सुबह 5 बजे शुरू हुई, और ईडी की टीम ने सौरभ और उसकी मां उमा शर्मा के बैंक खातों और संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों को जब्त किया। दस्तावेजों में ओवरसीज बैंक में सौरभ और उसकी मां का जॉइंट अकाउंट, और उमा शर्मा का यूनियन बैंक में एक लॉकर भी मिला।
जमीन और प्रॉपर्टी की जांच
इसके अलावा, ईडी ने यह भी पाया कि सौरभ शर्मा की मां ने हाल ही में हाईवे पर अपनी करोड़ों की जमीन बेची है। ईडी अब यह पता लगा रही है कि इस जमीन का सौदा कितने में हुआ और इससे जुड़े दस्तावेजों की जांच कर रही है। इसके साथ ही, सिटी सेंटर में भी सौरभ की मां के नाम पर काफी प्रॉपर्टी पाई गई है, जिस पर ईडी की नजरें गड़ी हुई हैं।