
बांग्लादेश अब पूरी तरह आग का गोला बना हुआ है। वहां हिंदू सफाई अभियान चल रहा है। हिंदुओं को बाहर निकालकर बांग्लादेश खुद को मुस्लिम तांत्रिक देश बनाना चाहता है। इसके परिणामस्वरूप वहां के कट्टरपंथियों की बर्बरता चरम पर है।
और बांग्लादेश के कट्टरपंथियों की यह उग्रता भारत (India) में भी असर डाल रही है। हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध में भारत में बांग्लादेश के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है।
वीज़ा सेवाएं बंद होने की कगार पर हैं, और बांग्लादेशियों के लिए चिकित्सा सेवाएं भी बंद हो चुकी हैं। लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान भारतीय मुस्लिम व्यापारियों को हो रहा है।
बांग्लादेश बहिष्कार के कारण भारतीय मुस्लिम व्यापारियों को हो रहा भारी नुकसान
शुरुआत से ही भारत और बांग्लादेश के रिश्ते बेहद मजबूत रहे हैं। लेकिन सिर्फ पड़ोसी देश होने के नाते नहीं, बल्कि व्यापारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कई कारणों से दोनों देशों का रिश्ता मित्रवत रहा है। खास तौर पर व्यापारिक क्षेत्र में दोनों देशों के फायदे-नुकसान का बड़ा हिस्सा रहता है। हर साल बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग भारत, विशेषकर पश्चिम बंगाल में इलाज कराने आते हैं। इसके परिणामस्वरूप पश्चिम बंगाल के मुस्लिम व्यापारियों को बड़ा मुनाफा होता है। लेकिन वर्तमान में, लाभ के बजाय नुकसान का स्तर बढ़ रहा है।
बांग्लादेशियों के साथ बंगाल के मुस्लिम व्यापारियों का क्या संबंध?
दरअसल, बांग्लादेश से जो मरीज इलाज कराने बंगाल आते हैं, उनमें से अधिकांश मुस्लिम समुदाय के होते हैं। इसलिए वे खाने-पीने से लेकर रहने तक के लिए मुस्लिम संचालित होटलों और रेस्तरां को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन हाल ही में वीज़ा, चिकित्सा सेवाएं और व्यापार में आयात-निर्यात स्थगित होने के कारण बांग्लादेश से आने-जाने की संख्या घट गई है। इसका बड़ा प्रभाव खिदिरपुर, कोलकाता के पार्क स्ट्रीट और न्यू मार्केट जैसे इलाकों के मुस्लिम व्यापारियों पर पड़ा है। क्योंकि ये इलाके बांग्लादेशी नागरिकों के ठहरने और खाने-पीने के मुख्य स्थान थे। इसके अलावा, भारतीय वस्त्र उद्योग में भी अस्थिरता उत्पन्न हुई है।
भारतीय वस्त्र उद्योग में अस्थिरता का कारण:
विश्व स्तर पर वस्त्र उद्योग में बांग्लादेश की लोकप्रियता जबरदस्त है। लेकिन इस लोकप्रियता के पीछे भारत का बड़ा योगदान है। क्योंकि इस उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल अधिकांशतः भारत से ही निर्यात होता है। खास तौर पर पश्चिम बंगाल के खिदिरपुर और बैनियापुकुर के मुस्लिम व्यापारी कच्चे माल की आपूर्ति करते हैं। चूंकि वर्तमान में दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात व्यवस्था बंद करने पर विचार हो रहा है, इसलिए मुस्लिम व्यापारियों पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है। सिर्फ पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के व्यापारियों को इस वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव:
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच इस तरह के तनावपूर्ण संबंधों के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। बांग्लादेश से नागरिकों का आना-जाना कम होने से चिकित्सा, पर्यटन और व्यापारिक उद्योगों में गिरावट आ रही है। लेकिन सिर्फ भारत ही नहीं, दूसरी ओर, इन उन्नत सुविधाओं से वंचित होने के कारण बांग्लादेश की स्थिति भी बिगड़ रही है। हालांकि, इन संबंधों का समीकरण किस दिशा में जाएगा, यह अभी भी सवालों के घेरे में है।