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दो हफ्ते से अस्पताल में थे, बहन बोलीं- सुकून के साथ अंतिम सांस ली

सात वर्ष की आयु से ही तबले पर हाथ आजमाना शुरू किया

प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार ने सोमवार को यह जानकारी दी। जाकिर हुसैन फेफड़े संबंधी समस्या इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से परेशान थे।वह 73 वर्ष के थे। वे पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में रखा गया था।

उनकी बहन खुर्शीद औलिया ने कहा कि उन्होंने सुकून के साथ अंतिम सांस ली। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वेंटिलेशन मशीन बंद किए जाने के बाद उन्होंने सुकून के साथ अंतिम सांस ली। सैन फ्रांसिस्को के समय के अनुसार, तब शाम के चार बजे थे।

परिवार में कौन-कौन?

प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र जाकिर हुसैन का जन्म नौ मार्च 1951 को हुआ था। उन्हें उनकी पीढ़ी के सबसे महान तबला वादकों में से एक माना जाता है। उनके परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और उनकी बेटियां अनीशा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी हैं। परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘वह दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक बना रहेगा।

कई अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया

छह दशकों के अपने करियर में जाकिर हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल शंकर और तालवादक टीएच ‘विक्कू’ विनायक्रम के साथ 1973 में भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी जैज संगीत के तत्वों के उनके संलयन को काफी सराहा गया।

सात वर्ष की आयु से ही तबले पर हाथ आजमाना शुरू किया

जाकिर हुसैन ने महज सात वर्ष की आयु से ही तबले पर हाथ आजमाना शुरू कर दिया था और आगे चलकर उन्होंने पंडित रविशंकर, अली अकबर खान और शिवकुमार शर्मा जैसे दिग्गजों सहित भारत के लगभग सभी प्रतिष्ठित संगीत कलाकारों के साथ काम किया। यो-यो मा, चार्ल्स लॉयड, बेला फ्लेक, एडगर मेयर, मिकी हार्ट और जॉर्ज हैरिसन जैसे पश्चिमी संगीतकारों के साथ उनके अभूतपूर्व संगीत ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया।

पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते

जाकिर हुसैन ने अपने करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे। भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

मशहूर हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी

  • जाकिर हुसैन के निधन के बारे में जानकारी मिलने पर मशहूर हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने कहा, ‘कुछ घंटे पहले उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया। अलविदा उस्ताद जी। वह व्यक्ति, जिन्होंने तबला वादन को आकर्षक का केंद्र बनाया, जिन्होंने एक संगत वाद्य यंत्र दुनिया के सामने रखा। उनके परिवार, प्रशंसकों और दुनिया भर में उनके चाहने वालों के प्रति गहरी संवेदनाएं।’
  • केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने तबला वादक को भारत की समृद्ध संगीत विरासत का प्रतीक और शास्त्रीय परंपराओं का सच्चा संरक्षक बताया। उन्होंने कहा कि उस्ताद जाकिर हुसैन ने भारतीय संगीत को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वह भारत की समृद्ध संगीत विरासत के प्रतीक रहे। वह शास्त्रीय परंपराओं के सच्चे संरक्षक थे। कला के क्षेत्र में उनका योगदान अद्वितीय है। उनका निधन संस्कृति और मानवता के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके प्रियजनों के प्रति गहरी संवेदना।
  • हुसैन के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें एक सांस्कृतिक दूत बताया, जिन्होंने अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली ताल से सीमाओं और पीढ़ियों के बीच सेतु का काम किया। उन्होंने कहा कि पद्म विभूषण से सम्मानित तबला वादक और तालवादक ने असाधारण प्रदर्शन के जरिए अपने पिता की विरासत को बेहद शानदार ढंग से आगे बढ़ाया। उनको मिले कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान इस बात के प्रमाण हैं।

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