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मध्यप्रदेश में नदी जोड़ो परियोजनाओं से सिंचाई और पेयजल संकट का समाधान

मध्यप्रदेश में नदी जोड़ो परियोजनाओं से सिंचाई और पेयजल संकट का समाधान – मध्यप्रदेश में जल संकट और सिंचाई सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए नदियों को जोड़ने की बड़ी योजनाएं जमीन पर उतरने वाली हैं।

प्रदेश में चल रही नदी जोड़ो परियोजनाओं के तहत केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं पर काम शुरू हो रहा है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य मालवा और बुंदेलखंड जैसे जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है।

25 दिसंबर को खजुराहो में केन-बेतवा परियोजना का भूमि-पूजन होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नागरिकों से आह्वान किया है कि अधिक से अधिक संख्या में खजुराहो पहुंचकर इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का हिस्सा बनें।

केन-बेतवा लिंक परियोजना के जरिए बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई के साथ-साथ पेयजल संकट को कम करने की योजना है। वहीं, पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना मालवा क्षेत्र की कृषि और जल जरूरतों को पूरा करेगी। मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में बताया कि इन परियोजनाओं से लाखों किसानों और ग्रामीणों को फायदा होगा। उन्होंने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में चित्रकला और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित करने की सलाह दी।

डॉ. यादव ने कहा कि अंतर्राज्यीय परियोजनाओं के साथ-साथ प्रदेश की नदियों को भी जोड़ने के लिए उपयोगिता आधारित प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि जिला स्तर पर कार्य योजना बनाकर इस दिशा में तेजी से काम करें।

सागर, उज्जैन, ग्वालियर और चंबल संभाग में चल रहे मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान की प्रगति पर भी चर्चा की गई। जानकारी दी गई कि इन संभागों में 12,000 से अधिक शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 72,600 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 41,381 को स्वीकृति दी गई है।

आयुष्मान भारत योजना के तहत 75.2% आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, जबकि निर्माण श्रमिकों के पंजीयन और चालू खसरा/खतौनी की प्रतिलिपियों के मामलों में क्रमशः 51% और 64% आवेदन मंजूर किए गए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में कोई कोताही न हो। अभियान में बने दल घर-घर जाकर आवेदन प्राप्त करें और सभी शिविरों में जनप्रतिनिधि सक्रिय भागीदारी निभाएं।

बैठक में कई मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों ने सुझाव दिए। इनमें जल संरक्षण, सिंचाई क्षमता बढ़ाने, और जनकल्याण शिविरों की प्रभावशीलता बढ़ाने पर जोर दिया गया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जिला स्तर पर आने वाली समस्याओं का निराकरण राज्य स्तर पर किया जाए।

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