MP News: नर्सिंग घोटाले में सीबीआई जांच, हाईकोर्ट ने काउंसिल में गड़बड़ियों पर सख्त एक्शन लिया

मध्य प्रदेश में चल रहे नर्सिंग घोटाले में सीबीआई की जांच के बाद अब राज्य के 500 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों पर ताले लग चुके हैं।
वहीं, इस घोटाले से जुड़ी और भी गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं, विशेष रूप से नर्सिंग काउंसिल के कार्यालय में।
अब इस मामले की जांच को और गंभीरता से लेते हुए, हाईकोर्ट ने इसे भोपाल पुलिस कमिश्नर और साइबर सेल को सौंप दिया है और राज्य सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है।
नर्सिंग फर्जीवाड़े के संबंध में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही थी। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल कार्यालय के 13 से 19 दिसंबर, 2024 तक के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का आदेश दिया था। लेकिन जब याचिकाकर्ता ने दस्तावेज पेश किए, तो सामने आया कि 11 से 16 दिसंबर तक के सीसीटीवी फुटेज गायब हैं।
विशाल बघेल ने आरोप लगाया कि जब हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर को तत्कालीन रजिस्ट्रार को हटाने का आदेश दिया था, उसके बाद उनकी कार्यशैली से जुड़ी कई फाइलें 14 दिसंबर को गायब कर दी गईं। इसके साथ ही, सीसीटीवी फुटेज भी डिलीट किए गए, जो इस घोटाले की गंभीरता को और बढ़ाता है।
हाईकोर्ट ने पुलिस और साइबर सेल को सौंपा जांच, गंभीर आरोपों की जांच जारी
मध्य प्रदेश में चल रहे नर्सिंग फर्जीवाड़े के मामले में हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने गंभीर कदम उठाते हुए पूरा मामला भोपाल पुलिस कमिश्नर और साइबर सेल को सौंप दिया है। जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की बेंच ने आदेश दिया है कि काउंसिल कार्यालय के 13 से 19 दिसंबर, 2024 तक के सीसीटीवी फुटेज को पुनः प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। इसके अलावा, यदि आवश्यक हो तो काउंसिल कार्यालय के आसपास लगे अन्य कैमरों की रिकॉर्डिंग को भी खंगालने का निर्देश दिया गया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि दफ्तर से क्या-क्या सामग्री बाहर ले जाई गई थी।
साथ ही, हाईकोर्ट ने साइबर सेल को तत्कालीन रजिस्ट्रार के मोबाइल फोन के टावर लोकेशन की जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिए हैं, ताकि यह पुष्टि की जा सके कि 13 से 19 दिसंबर 2024 के बीच वह काउंसिल के कार्यालय में मौजूद थे या नहीं। यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि इस अवधि के दौरान कार्यालय के महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिए गए थे और सीसीटीवी फुटेज भी डिलीट कर दिए गए थे।
एनरोलमेंट में अनियमितताएं: सीबीआई जांच रिपोर्ट को दरकिनार किया
याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में एक और गंभीर आरोप लगाया है कि तत्कालीन रजिस्ट्रार अनीता चांद द्वारा ग्वालियर के कुछ नर्सिंग कॉलेजों में सत्र 2022-23 के छात्रों का अवैध रूप से नामांकन किया गया। यह कॉलेज ऐसे थे जिनकी सीबीआई जांच रिपोर्ट में यह सामने आया था कि इन कॉलेजों में कोई भी छात्र प्रवेश नहीं ले पाया था। फिर भी, रजिस्ट्रार ने कॉलेजों के साथ मिलकर सीबीआई रिपोर्ट को दरकिनार कर फर्जी तरीके से छात्रों का बैकडेट पर नामांकन दर्ज कर दिया।
विशाल बघेल ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि इन नामांकनों से संबंधित सभी फाइलें पेश की जाएं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस अनियमितता में कौन-कौन लोग शामिल थे। हाईकोर्ट ने भी नर्सिंग काउंसिल को निर्देश दिए कि इन एनरोलमेंट से जुड़ी सभी फाइलें जल्द से जल्द हाईकोर्ट में पेश की जाएं।
नर्सिंग काउंसिल में गड़बड़ियां और फर्जीवाड़ा
यह घटनाएं इस बड़े घोटाले की गंभीरता को उजागर करती हैं, जिसमें नर्सिंग कॉलेजों में फर्जी प्रवेश, दस्तावेजों की हेराफेरी और सीबीआई जांच को दरकिनार कर अनियमितताएं की जा रही हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने न केवल पुलिस और साइबर सेल को कड़ी जांच के निर्देश दिए हैं, बल्कि नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों पर भी सवाल उठाए हैं।
हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच, जिसमें जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल शामिल थे, ने इस मामले की जांच को और सख्ती से देखने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर और साइबर सेल को निर्देश दिया कि वे इन गायब फुटेज को पुनः प्राप्त करने के सभी प्रयास करें। यदि जरूरत पड़े तो काउंसिल ऑफिस के आसपास लगे अन्य कैमरों की रिकॉर्डिंग भी देखी जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि दफ्तर से क्या-क्या सामग्री बाहर ले जाई गई।